Monday, March 5, 2012

भरोसा ही ईश्वर है

हम जिस पर भरोसा करते है बस वो ही तो ईश्वर है।
हम मंदिर/मस्जिद/गुरुद्वारा/चर्च जाते है और प्रार्थना करते है क्यों ?
क्योकि हम यह भरोसा करते है की वहा कोई है जो हमारी सुनता है और मदद करता है।
हम अपने बुरे कर्मो की वजह से दुखी होते है और दोष ईश्वर को देते है,
और ऐसा करके हम अपने भरोसे को ही कमज़ोर करते है।
गौर करे तो पाएंगे की हमारे किये अच्छे कर्म हमारे भरोसे को और मज़बूत करते है,
जबकि बुरे कर्म हमारे भरोसे को कमज़ोर बनाते है।
ईश्वर दिखाई नहीं देते लेकिन कदम-कदम पर अपनी उपस्थिति का अहसास 
हमें मिलने वाली सफलताओ और असफलताओ के रूप में कराते रहते है। 
हम उस ईश्वर को जब स्वयं के साथ मानते है,
तब कई मुश्किल दिखने वाले कार्य बड़ी आसानी से होते चले जाते है।
क्या सच में यह कार्य हमने नहीं, किसी और ने किये होते है ? 
सब कुछ हमारे भरोसा करने और नहीं करने पर ही निर्भर करता है।
तो, जब भी मन में यह शंका उठे की ईश्वर है या नहीं,
तो अपने भरोसे की मजबूती को जाँच कर देखिएगा।
ईश्वर  कही और नहीं,हमारे भरोसे में ही निवास करते है। 
यदि हम स्वयं पर भरोसा नहीं कर पाए तो दूसरो के भरोसा रुपी ईश्वर की पूजा में
अपना पूरा जीवन, स्वयं को धोखा देते खो देंगे।
हम जिस पर भरोसा करते है बस वो ही तो ईश्वर है।

 


1 comment:

  1. MANDIR EK AAINA HAI JANHA HAM APNE DIL ME BAITHE ISHWAR KE DARSHAN K LIYE JATE HAI, OR JINKO APNE PE BHAROSA NAHI HOTA SAMJHO KI UNKA AAINA DHUNDHLA HAI , SAHMAT HAI

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