Friday, February 15, 2013

Before Competition Examination ?



प्रतियोगिता परीक्षा में बैठने  से पहले कुछ बाते कुछ विचार।
1. जिस पद के लिए आप परीक्षा देने जा रहे है,
वह पद सचमुच में आपको चाहिए या फिर ऐसे ही अपना लक आजमाने जा रहे है ?
2. अपनी योग्यता से कम के पद पर आवेदन करने से पहले,थोड़ी देर अकेले में बैठे,
और सोचे की आपको ऐसा फैसला क्यों करना पड़ रहा है ?
सबकुछ बटोर लेने की इच्छा / सब हाथ से निकल जाने का भय /वर्तमान का धन अभाव /
दूसरो के परिणाम देखकर अपना आकलन, घर/ परिवार/ दोस्तों के सलाहों का दबाव।
उपरोक्त कारणों से स्वयं को मुक्त रखे तो सफलता की प्रायिकता बढ़ सकती है। 
3. दूसरो की सफलता /असफलता से अपनी योग्यता को मत जाँचिये।
ऐसा  करके कही न कही हम स्वयं को कमज़ोर बना रहे होते है।
4. घरवालो / दोस्तों को दिखाने / झूठा रौब झाड़ने  के लिये परीक्षाये न देते रहे। 
5. परीक्षा फार्म भरने भर से हमारा काम पूरा नहीं हो जाता।
परीक्षा के विषय में पूरी जानकारी रखते हुए तैयारी में अपना पूरा 100% प्रयास लगा दे।
सफलता/असफलता की चिंता हमे हमारे प्रयासों में लापरवाह कर सकता है।ज़रा संभलकर।
6. पहले प्रयास में ही अपना पूरा जोर लगा दे क्योकि अगला प्रत्येक प्रयास हममे हीन भावना/असुरक्षा की भावना  को बढ़ाते जाता है।
विशेष- ऊपर लिखी बातो पर एक बार ज़रूर गंभीरता से विचार कीजियेगा। मै दिल से चाहूँगा कि आपको आपकी पसंद का पद मिले और आप देश के विकास में सहभागी बने। 
  

Tuesday, February 12, 2013

प्रश्न-इतना पढ़ने के बाद भी नौकरी नहीं मिलती तो पढने से क्या फायदा  ?
उत्तर-
सही प्रश्न-
समस्या यह  नहीं है कि  नौकरी क्यों नहीं मिलती,समझने वाली बात तो ये है कि नौकरी  किसको मिलती है ?
कारण -
वास्तव में हम अपनी पढाई का लक्ष्य ही नौकरी को बना लेते है,और नौकरी के लिये आवश्यक योग्यताओ के अनुसार सर्टिफिकेट्स इकठ्ठा करते चले जाते है।
नौकरी के  लिये आवश्यक योग्यताये,समय के साथ -साथ बदलते चले जाती  है,किन्तु  हम इस बदलाव के साथ अपनी योग्यताओ/सर्टिफिकेट्स को नहीं बढ़ा पाते है।
उम्र बढ़ने के साथ हमारी लालसा बढती/ घटती जाती है और तय नौकरी से कुछ अच्छा या कम  की चाह में लगातार यहाँ-वहा प्रयास करते रहते है।
समय के साथ-साथ हमारी निराशा बढ़ते जाती है,और हम प्रयासों में लापरवाही बरतने लगते  है।
हमसे कम उम्र के प्रतिभागी नई ऊर्जा और
योग्यताओ के साथ प्रतिद्वंदी बनते जाते है,और हमारे लिये प्रतियोगिता कठिन होते चले जाती है। 
सीमित नौकरी और प्रतिभागियों की असीमित संख्या नौकरी को दुर्लभ बना देता है।
अब सबसे महत्वपूर्ण यह कि चूँकि हमने पढाई ही नौकरी पाने के लिए की होती है तो कोई और काम  कर पाने में हम स्वयं को असमर्थ पाते है।
समय निकल जाने के बाद शिकायत और निराशा से भरे हुए कुछ भी करके अपना गुजरा करने के लिए बाध्य हो जाते है।
क्या करे- 
शुरू से पढाई के साथ-साथ कोई तकनीकी ज्ञान भी लेते जाये।
नौकरी को ही लक्ष्य न बनाते हुये स्वतंत्र  कार्य के लिए स्वयं को तैयार करे।
जब हम किसी कार्य में लग जाते है तो और कार्यो /नौकरियों के अधिक प्रस्ताव आने लगते है
और हमारे पास विकल्प आ जाता है कि किस काम को करे / क्या छोड़े।
ज्यादा अच्छा होगा कि अपनी नौकरी की चिंता छोड़ कर दूसरो को नौकरी देने  के बारे में सोचे।