Monday, October 24, 2011

सजगता

सजगता,
नरक जैसी जगह में भी हमे खुश रखता है  |
लापरवाही,
स्वर्ग जैसी जगह को भी नरक बना देता है |
सजगता से जीवन के हर एक पल को उत्सव में बदला जा सकता है.
सजग व्यक्ति, ज़िम्मेदारी उठाने वाला होता है,और ज़िम्मेदार व्यक्ति को सभी पसंद करते है.
जिस व्यक्ति को सभी पसंद करते हो वह किसी के साथ धोखा बेईमानी नहीं कर सकता.




ख्वाब


"ख्वाब  थकने नहीं देता और विश्वास रुकने नहीं देता है"
यह एक ऐसा रहस्य है जिससे यदि हम परिचित है और भरोसा करते है, तो शायद ही हमारे कोई ख्वाब अधूरे रहे.
शर्त बस यही है की कभी अपने ख्वाबो को मरने मत दो और ऐसे ख्वाब भी मत देखो जो आपकी छमता से बहुत दूर हो. 

Sunday, October 23, 2011

मजबूरी या शौक

मजबूरी या शौक में किया गया कोई कार्य कब हमारी  आदत बन जाये कहा नहीं जा सकता है.
इसलिए संभलकर ............

Saturday, October 22, 2011

दोस्ती

लालच और क़र्ज़ में फंसा व्यक्ति किसी को भी धोखा दे सकता है.
यह उसकी मजबूरी हो सकती है या आदत भी.
जहाँ  तक हो सके ऐसे व्यक्तियो से दूर ही रहा जाये.
ऐसे लोगो से सहानुभूति रखे किन्तु घनिष्टता ना बढाये.

इनकी ना दोस्ती अच्छी हो सकती है और ना ही दुश्मनी.

 

Thursday, October 20, 2011

पूर्वाग्रह

हम जैसा सोचते है वैसे ही हो जाते है. हमने बचपन से नकारात्मक बातो को अधिक ग्रहण  किया  है. इसलिए   नकारात्मक घटनाओ पर हमें जल्दी भरोसा होता है जबकि अच्छी बातो पर शंका होती है.
"किसी को बुरा बताने जाने  पर हम  तुरंत विश्वास कर लेते है जबकि किसी को अच्छा कहे जाने पर मन शंकाओ से भर जाता है"
दुनिया को देखने  और बातो को ग्रहण करने  के  नजरिये  को बदलकर  हम आज भी अपने अन्दर सकारात्मक उर्जा का संचार करने की छमता रखते है.  
तो  बदल डालिए अपनी दुनिया को.......



Wednesday, October 19, 2011

मौका या धोखा

"मौका सभी को मिलता है.
कुछ जो तैयार होते है वो फायदा उठा लेते है
जो तैयार नहीं होते उन्हें 
मौका भी धोखा नज़र आता है "

झूठ

"झूठ स्वयं एक समस्या है,सच समस्याओ का समाधान है. 
सच के साथ रहो मस्त रहो"

समस्या को नज़रंदाज़ न करे

"समस्या कितनी ही छोटी क्यों न हो,
अगर नज़रंदाज़ करते रहे तो कभी भी बड़ा रूप ले सकती है"

सुख या दुःख

तीन दोस्तों को एक गड्डा खोदते हुए  गड़ा खजाना मिलता है. दो दोस्त ज्यादा मजबूत एवं लड़ाकू स्वभाव के थे.दोनों मिलकर तीसरे दोस्त को भगा देते है ताकि खजाने के दो ही हिस्से हो.तीसरा दोस्त बिना विरोध किये वहा से चला जाता है.इधर दोनों दोस्तों के मन  में लालच आ जाता है.दोनों अकेले ही खजाना पा लेने की तरकीब सोचने लगते है.तभी एक दोस्त दुसरे के सर पर पत्थर से वार कर देता है. एक दोस्त मारा जाता है.दूसरा खुश होते हुए जैसे ही खजाने को उठाने के लिए जाता है तो उसे एक सांप डस लेता है और वह मदद के लिए तीसरे दोस्त को पुकारता है.तीसरा दोस्त आवाज़ सुनकर जब वहा पहुचता है तब तक दूसरा दोस्त भी मर चुका होता है. इस तरह खज़ाना तीसरे दोस्त को मिलता है.
इस घटना को आपने कई तरह से पढ़ा सुना होगा.यहाँ पर इस घटना का सार यह है कि 
१. मौका सभी को बराबर का मिलता है .
२. कोई अपनी कुटिलता से किसी का हिस्सा हथिया तो सकता है किन्तु उसका उपयोग हरगिज़ नहीं कर पाता है.उलटे अपना ही नुकसान करा लेता है.
३. जो चीज़ जिसके हिस्से कि होती है उसे लाख कोशिश करके भी नही छिना जा सकता .
इस पृष्ट को पढ़ते हुए आप बिलकुल ठीक सोच रहे है कि ऐसा खज़ाना सभी को कहा मिलता है ? ऐसे कुटिल दोस्त आपके नहीं हो सकते ? यदि आपको ऐसा खज़ाना मिल जाता तो आप ज़रूर सभी में बाँटते ? अगर खज़ाना घर ले भी आता तो कहाँ रखता ? कैसे बेचता ?
सोचिये सोचिये , सोचने में क्या जाता है ? दोस्तों, सुख और दुःख इस सोच का ही परिणाम होता है. आप अच्छा सोचेंगे  तो सुख मिलता है और बुरा सोचेंगे तो दुखी होते रहेंगे .
"यु तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है,मगर हाँथ  आये  जो अपना वही  है" 



ज़रा सोचे

आप चाहे जो भी काम करे अंत में सुख ही चाहते है.क्यों ?
बुरे से बुरा कर्म करने वाला भी अपने लिए अच्छे की चाह रखता है.किसलिए ?
जब आपने दुसरो का भला किया ही नहीं तो अपने लिए भला कैसे चाह सकते है ?
श्रृष्टि  को  जो भी आप देते है वही आपको बढ़कर वापस मिलता है.
ज़रा संभलकर.......... 








जीवन एक ही बार मिलता है

अगली बार भी मनुष्य ही जन्म मिलेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है,और अगर मिला भी तो इस जीवन से अच्छा होगा यह भी निश्चित नहीं है. प्रत्येक घटना को अपने विरुद्ध मान  लेने का नजरिया रखने वालो के लिए सुख, अगले जन्म में प्राप्त होने वाली उपलब्धी की तरह होता है. ऐसे  लोगो को सिर्फ कमिया ही नज़र आती है.
यदि कोई पेड़ की ठंडी हवा का आनंद लेने की बजाय, उस पेड़ की लकड़ी को  जलाने से उत्पन्न आग से अपने घर के जल जाने की कल्पना में डूबा हुआ है तो कोई भी ऐसे व्यक्ति को सुखी नहीं बना सकता. सदा दुखी रहने वालो को दुःख में ही आनन्द आने लगता है. और सुखी लोगो को सुख में ही आनन्द आता है. मनुष्य की प्रकृति होती है कि जो नापसंद होता है उसे बार बार याद नहीं करते. कोई यदि हर बात में दुःख ढूढ़ निकलता हो और बार बार दुखी होने की बात कहता हो तो ज़रा सोचे कि ऐसे लोगो को क्या पसंद हो सकता है.