Wednesday, October 19, 2011

सुख या दुःख

तीन दोस्तों को एक गड्डा खोदते हुए  गड़ा खजाना मिलता है. दो दोस्त ज्यादा मजबूत एवं लड़ाकू स्वभाव के थे.दोनों मिलकर तीसरे दोस्त को भगा देते है ताकि खजाने के दो ही हिस्से हो.तीसरा दोस्त बिना विरोध किये वहा से चला जाता है.इधर दोनों दोस्तों के मन  में लालच आ जाता है.दोनों अकेले ही खजाना पा लेने की तरकीब सोचने लगते है.तभी एक दोस्त दुसरे के सर पर पत्थर से वार कर देता है. एक दोस्त मारा जाता है.दूसरा खुश होते हुए जैसे ही खजाने को उठाने के लिए जाता है तो उसे एक सांप डस लेता है और वह मदद के लिए तीसरे दोस्त को पुकारता है.तीसरा दोस्त आवाज़ सुनकर जब वहा पहुचता है तब तक दूसरा दोस्त भी मर चुका होता है. इस तरह खज़ाना तीसरे दोस्त को मिलता है.
इस घटना को आपने कई तरह से पढ़ा सुना होगा.यहाँ पर इस घटना का सार यह है कि 
१. मौका सभी को बराबर का मिलता है .
२. कोई अपनी कुटिलता से किसी का हिस्सा हथिया तो सकता है किन्तु उसका उपयोग हरगिज़ नहीं कर पाता है.उलटे अपना ही नुकसान करा लेता है.
३. जो चीज़ जिसके हिस्से कि होती है उसे लाख कोशिश करके भी नही छिना जा सकता .
इस पृष्ट को पढ़ते हुए आप बिलकुल ठीक सोच रहे है कि ऐसा खज़ाना सभी को कहा मिलता है ? ऐसे कुटिल दोस्त आपके नहीं हो सकते ? यदि आपको ऐसा खज़ाना मिल जाता तो आप ज़रूर सभी में बाँटते ? अगर खज़ाना घर ले भी आता तो कहाँ रखता ? कैसे बेचता ?
सोचिये सोचिये , सोचने में क्या जाता है ? दोस्तों, सुख और दुःख इस सोच का ही परिणाम होता है. आप अच्छा सोचेंगे  तो सुख मिलता है और बुरा सोचेंगे तो दुखी होते रहेंगे .
"यु तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है,मगर हाँथ  आये  जो अपना वही  है" 



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