अगली बार भी मनुष्य ही जन्म मिलेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है,और अगर मिला भी तो इस जीवन से अच्छा होगा यह भी निश्चित नहीं है. प्रत्येक घटना को अपने विरुद्ध मान लेने का नजरिया रखने वालो के लिए सुख, अगले जन्म में प्राप्त होने वाली उपलब्धी की तरह होता है. ऐसे लोगो को सिर्फ कमिया ही नज़र आती है.
यदि कोई पेड़ की ठंडी हवा का आनंद लेने की बजाय, उस पेड़ की लकड़ी को जलाने से उत्पन्न आग से अपने घर के जल जाने की कल्पना में डूबा हुआ है तो कोई भी ऐसे व्यक्ति को सुखी नहीं बना सकता. सदा दुखी रहने वालो को दुःख में ही आनन्द आने लगता है. और सुखी लोगो को सुख में ही आनन्द आता है. मनुष्य की प्रकृति होती है कि जो नापसंद होता है उसे बार बार याद नहीं करते. कोई यदि हर बात में दुःख ढूढ़ निकलता हो और बार बार दुखी होने की बात कहता हो तो ज़रा सोचे कि ऐसे लोगो को क्या पसंद हो सकता है.
No comments:
Post a Comment