स्वयं में गलती देखना अच्छा है, किन्तु हर बात के लिए स्वयं को कोसते रहना ठीक नहीं होगा. जब बुरा होने पर स्वयं की ज़िम्मेदारी मानते है, तब अच्छा होने पर क्यों अपने आप को धन्यवाद् नहीं देते ? स्वयं का दोष देखना यदि आदत बन जाये, तो फिर आपको बाहर भी हर एक में दोष ही दिखेगा और आपको सब ओर सिर्फ कमी ही नज़र आएगी.
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