Tuesday, September 25, 2012

क्यों न हम स्वयं को देशद्रोही होने से बचाए ?

ज़रा सोचिये कि,
क्या कोई अपने ही घरवालो के साथ बेईमानी कर सकता है ?
कोई अपने ही माता-पिता को धोखा दे सकता है ?
अपनों को लूट कर कोई, क्या किसी और का घर भरना चाहेगा ?
जो कोई भी अपने देश को अपना घर और देशवासियों को 
अपने घर का सदस्य मानता हो,
यकीन मानिये वो भ्रष्ट नहीं हो सकता।
और यदि कोई भ्रष्ट है,
तो भी यकीन मानिये की वो देशभक्त नहीं हो सकता। 
जो देशभक्त नहीं है उसे
देशद्रोही कहलाने में शर्म नहीं आनी चाहिए।
दोस्तों ,
भ्रष्ट लोगो की गिनती गिनते रहने से भ्रष्टाचार मिटने वाला नहीं है ।
उलटे,लोगो में ज्यादा से ज्यादा कौन भ्रष्ट की होड़ ज़रूर लग जाएगी।
भ्रष्ट लोगो को देशद्रोही मानते हुए ,
क्यों न हम स्वयं को देशद्रोही होने से बचाए ?
क्यों ना हम एक -एक करके देशभक्तों की संख्या को बढ़ाते जाये ?
संकल्प ले कि देशद्रोहियों की संख्या ,
देशभक्तों से कम करके रहेंगे।
याद रखे कि,
जिस देश में सच्चे लोग ज़िम्मेदारी उठाने  की हिम्मत नहीं जुटा पाते
उस देश में बेईमान और भ्रष्ट लोगो का ही बोलबाला रहता है।
        

No comments:

Post a Comment