हम सब कर सकते है यह सही है ,किन्तु क्या सब कुछ हम ही कर लेंगे ?
एक व्यक्ति जिसे अपनी असफलता मानता है,
उसे ही दूसरा अपनी सफलता मान सकता है।
अपनी छमता को ध्यान में रखकर अपने लक्ष्य का निर्धारण करे तो
यक़ीनन सफलता की ओर स्वयं को बढ़ता पाएंगे।
गहराई से विचार करे तो पाएंगे की कोई भी व्यक्ति
किसी एक छेत्र में ही वास्तविक सफलता हासिल कर पाता है।
इस सफलता के बाद बाकि सफलताये उसकी ओर स्वयं ही खिची चली आती है।