Sunday, February 5, 2012

विपत्ति

विपत्तियों से घिरा व्यक्ति अपने बचाव के लिए किसी का भी उपयोग कर सकता है। 
जैसे पानी में डूब रहा व्यक्ति बचाने वाले को भी अपने साथ डूबा सकता है ,
और वह यह अनजाने में ही कर जाता है। 
ठीक उसी प्रकार संकटग्रस्त व्यक्ति अपने बचाव के लिए किसी को भी अपनी ढाल बना सकता है,
और अनजाने में ही सही दूसरो को अपने साथ संकट में डाल देता है।
जब करो या मरो की स्थिति में कोई आ जाता है तो फिर उसे अपने बचाव के अलावा और कुछ भी सही नहीं लगता है । आप कह सकते है कि वह स्वार्थी हो जाता है, अपनी जान बचाने के लिए।
चाहे उसके ऐसा करने से किसी और की जान ही क्यों न चली जाये। 
दोस्तों दूसरो की मदद ज़रूर करे किन्तु पहले स्वयं को सुरक्षित करना न भूले।



No comments:

Post a Comment