भारत आज भी पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं हो पाया है।
पहले अंग्रेज यहाँ शासन चलाते थे और अब उनकी आत्मा को धारण किये हुए लोग।
चंद लोग जो किसी भी तरह से आम जनता से चुनकर आ जाते है, वे भी अपनी -अपनी सुविधाओ के हिसाब से
देश में कानून बनाते और बदलते रहते है।
किन्तु गौर करने वाली बात है कि,
अंग्रेजो के बनाये दमनकारी कानून/ तरीको को
आज भी कोई बदलने की नहीं सोचता ?
आज भी ज़रुरत बताकर किसी की भी ज़मीन
सरकार के द्वारा छिनी जा सकती है।
हमारी आय में से टैक्स देना निश्चित है किन्तु
हमारे नुकसान की भरपाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
आज भी आम आदमी,
ऊँचे बैठे लोगो की गुलामी करने के लिए बाध्य है।
अपने परिश्रम से कमाए धन/ज़मीन को
अपना तब ही तक कह सकते है,
जब तक कि उस पर किसी
बाहुबली/ अधिकारी/नेता आदि की नज़र नहीं पड़ी हो।
और आज भी इनके ही ठाट है।
क्या बदला है यह गंभीरता से सोचने का विषय है?
अंग्रेजो ने अपनी खिदमत के लिए
/अपने व्यवसाय को बढ़ाने आदि के लिए
भारत की आम जनता को ही
अपनी गुलामी की ज़ंजीरो से जकड़ा था।
आज भी आम जनता ही
महंगाई /गरीबी/आधुनिक विलासिता की ज़ंजीरो से
स्वयं को जकड़ा पाती है।
पहले अंग्रेजो ने हमारे देश को लूटा
और लुटे धन को अपने देश में भेज कर उसे संम्पन्न बनाया।
आज भी हमारा देश लूटा जा रहा है
और धन को किसी दुसरे देशो में चोरी-छुपे भेजा जाता है।
आज के लूटेरे किसे संम्पन्न बना रहे है यह शोध का विषय है?
मै सच्चे भारतीय, बड़े अधिकारियो
कहना चाहता हूँ कि कोई और हमारी व्यवस्था सुधारने नहीं आएगा।
अपने स्वार्थ को छोड़कर देश के हित का सोचे।
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