Wednesday, September 12, 2012

शक्ति या कला

शक्ति या कला

हमारे देश में ज्यादातर  लोग  अपनी कला को शक्ति बताकर 
भोले-भाले लोगो  को लूटते रहते है / उन्हें गुमराह करते रहते है।
यदि सचमुच उनके पास शक्ति होती तो वे 
सबसे पहले अपना ही भला कर लेते।
दूसरो से चंदा मांगकर, 
धन का चढ़ावा लेकर अपनी जेबे गर्म नहीं करते।
बिना मेहनत  किये  भाग्य के भरोसे सफल हो जाने की चाह हो 
या कम समय में ज्यादा कमा  लेने का लालच, 
दोनों ही स्थितियों में  
हम शक्ति /चमत्कार के बहकावे में आ जाते है।
पूरे मन से किया गया प्रयास हमारे दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में बदल सकता है।
दुसरे देशो के, 
सचमुच में  शक्ति रखने वाले लोग इसे अपनी कला मानते है।
कितने ही लोग है जिन्होंने 
एक इन्सान की छमता से बाहर जाकर ऊँचाइयों  को छुआ है।
सच मानिये हम सब के अन्दर असीमित शक्तियाँ  मौजूद है।
इन्हें कही बाहर खोजने जाने की ज़रुरत नहीं है।
नीचे कुछ महामानवो की तस्वीरे है,
जिन्हें  स्टेनली (hollywood ) के द्वारा पूरी दुनिया से ढूढ़ कर निकाली गई है  --








 

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