एक बड़ा सच आधुनिक भारत का.....
हम सोचते है कि भारत समृद्ध हो रहा है।
लोगो की जीवन शैली ऐश्वर्यपूर्ण हो गई है।
गरीब से गरीब व्यक्ति के घर पर टीवी \कूलर है।
सभी को समानता का अधिकार मिला हुआ है।
हैसियत से ज्यादा खर्च कर जाने के लिए बैंको से क़र्ज़ मिल जाता है।
मै ज्यादा नहीं लिखते हुए मुद्दे पर आता हूँ।
ज़रा गंभीरता से सोचकर देखिये कि,
पहले लोगो के पास एशोआराम कि वस्तुये ज़रूर नहीं थी
परन्तु सभी के पास ज़मीने हुआ करती थी।
आज एक स्थायी ज़रूरी वस्तु ज़मीन को छोड़कर,
अस्थायी गैर ज़रूरी सभी चीज़े लोगो के पास है।
क्या वास्तव में भारत समृद्ध हो रहा है ?
स्थायी वस्तुए चंद हाथो में सिमटती जा रही है।
मेरी पहल को हलके में न लेते हुए,
स्वयं को इस विषय में सोचने के लिए मजबूर कीजिये।
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