हमें अपनी छ्मता के अति प्रदर्शन से बचना चाहिए।
किसी कार्य को कर जाने का दावा करने से अच्छा होगा कि
उस कार्य को कर लेने के बाद अपनी बात कही जाये।
हममे जो भी छमता है वह सिर्फ हमारे लिए ही महत्वपूर्ण होती है,
दूसरे भी उसको उतना ही महत्व देंगे ज़रूरी नहीं है।
ऐसी उम्मीद करके हम स्वयं के साथ धोखा करते है।
अपनी छ्मता का उपयोग करके हम अपने लिए बहुत कुछ कर सकते है,
किन्तु जब हमारी छ्मता का दुसरे लोग दुरूपयोग करने पर आते है,
तब हम स्वयं एक उपयोग की वस्तु हो जाते है।
जिसे भी हमारी छ्मता/योग्यता से खतरा महसूस होता है,वह अपनी सारी छ्मता हमे मिटा देने पर लगा देता है।
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