सुकून एवं शांति से जीवन चलता रहे,
तो अपनी ज़रूरतों को सीमित करना शुरू कर दीजिये |
हम जैसे-जैसे अपनी ज़रूरतों को
वैसे-वैसे हमारे सामने चुनौतियों और समस्याओ का
अम्बार लगना शुरू हो जाता है |
जो भी आपकी सफलताओ से अपने लिए खतरा महसूस करेंगे,
वे आपको सुकून से जीने नहीं देंगे |
कहा भी जाता है की आवश्यकता ही अविष्कार की जननी होती है |
जैसे ही आपके सामने कोई समस्या खड़ी होती है
आप तुरंत ही उसका समाधान ढूंढने में लग जाते है,
और सच मानिये आपसे कुछ ना कुछ नया हो रहा होता है
जो आपकी छमता को और बढा देता है |
सार यह है कि,
अपनी छमता को बढ़ाते रहने से,
हम भविष्य में आने वाली कठिनाइयों को
हल कर पाने के लिए स्वयं को सदैव सक्षम पायेंगे
और निडरता एवं आत्मविश्वास से नए कार्यो को हाथ में लेंगे |
No comments:
Post a Comment