जब हम पहले से ही किसी को
धोखा देने का निर्णय कर चुके होते है
तो प्रकृति भी हमें हमारे कर्मो की सज़ा देने के लिए,
कमर कस चुकी होती है.
ऐसी स्थिति में जिसे हम सफलता मान रहे होते है,
वास्तव में वह हमें दी जा रही
सज़ा की शुरुआत होती है.
मानकर स्वीकारते जाते है.
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