ऐसा नहीं है की लोग अपने देश,समाज के लिए अच्छा करने का नहीं सोचते है |
कितनी ही योजनाये बनाते है फिर भी कुछ हो नहीं पाता है |
क्यूकि हममे अपनी ज़िम्मेदारी को दूसरे पर लाद देने की आदत होती है |
यही पर सारे दावे सारी योजनाये चकनाचूर हो जाती है |
कभी भी हम किसी गैरजिम्मेदार व्यक्ति का साथ नहीं चाहेंगे |
इनसे बचकर चलने की कोशिश करते है |
मगर हम स्वयं कितने गैरजिम्मेदार है यह कभी नहीं सोचते |
हमें लगता है की एक मेरे अकेले के कुछ करने से क्या हो जायेगा ?
एक मै ही बुरा तो नहीं हू, और भी तो कितने बुरे लोग है ?
मेरे अकेले के सुधरने से दुनिया तो सुधरने वाली नहीं है |
वास्तव में हमारे सुधरने से दुनिया बदलने या सुधरने वाली नहीं है |
तो क्या हम गैरजिम्मेदार ही बने रहे ?
जिन व्यक्तियों से लोग दूर रहना चाहते है,
अगर गौर से देखे तो पाएंगे की ऐसे लोग गैरजिम्मेदार और लापरवाह लोग ही होते है |
सब ओर उसी की पूछ परख होती है जो आगे बढ़कर ज़िम्मेदारी उठाने का हौसला रखते है |
अब अगर हम दूसरो के द्वारा उपेक्षित किये जाते है तो
निश्चित तौर पर हमें अपने व्यक्तित्व के बारे में गंभीरता से सोचना होगा |
ज़िम्मेदार व्यक्तित्व सभी को प्रिय होता है
लापरवाह सभी को नापसंद होते है |
आप किस व्यक्तित्व के है ...........?
ज़िम्मेदारी उठाये और सबके प्रिय बने |
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