प्रश्न - मै किसी के बुरे समय में उसकी मदद करता हूँ,
उत्त्तर- मदद के बदले मदद चाहना,यह मदद न होकर सौदा हो जाता है।निश्वार्थ भाव से मदद करते रहो तो कभी स्वयं को मदद की ज़रुरत ही नहीं पड़ेगी।
प्रश्न - निश्वार्थ भाव से की गई मदद,किसी स्वार्थी के मन को कब तक बदल पायेगा ?
उत्त्तर- अपनी छमता से अधिक और अपना नुकसान कराके, किसी की मदद मत करो।ऐसी मदद को ज्यादा समय तक बनाये नहीं रख पाएंगे। स्वयं को सक्षम बनाने पर ध्यान दे।
किसी के बदल जाने से हमारी छमता नहीं बढ़ेगी,
किन्तु स्वयं के सक्षम हो जाने पर दूसरो को नुकसान से ज़रूर बचाया जा सकता है।
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