अपना पेट भरा हो तो ही दूसरो की भूख मिटाने के बारे में सोचा जा सकता है।
सक्षम बने ताकि दूसरो का भी ख्याल रख सके।
अपने और अपनों के लिए ही जीते रहना सच में अक्लमंदी नहीं हो सकती।
याद रखे कि,
जानवर और इन्सान के अंतर को बनाये रखना है,
तो हमें अपने साथ-साथ दूसरो का भी ख्याल करते रहना होगा।
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