Friday, October 19, 2012

क्या बदला है यह गंभीरता से सोचने का विषय है?



भारत आज भी पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं हो पाया है।
पहले अंग्रेज यहाँ शासन चलाते थे और अब उनकी आत्मा को धारण किये हुए लोग।
अंग्रेजो के द्वारा बनाये गए कितने ही तरीके आज भी अपनाये जा रहे है।
चंद लोग जो किसी भी तरह से आम जनता से चुनकर आ जाते है, वे भी अपनी -अपनी सुविधाओ के हिसाब से 
देश में कानून बनाते और बदलते रहते है।
किन्तु गौर करने वाली बात है कि,
अंग्रेजो के बनाये दमनकारी कानून/ तरीको को 
आज भी कोई बदलने की नहीं सोचता ?
आज भी ज़रुरत बताकर किसी की भी ज़मीन
सरकार के द्वारा छिनी जा सकती है।
हमारी आय में से टैक्स देना निश्चित है  किन्तु 
हमारे नुकसान की भरपाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
आज भी आम आदमी,
ऊँचे बैठे लोगो की गुलामी करने के लिए बाध्य है।
अपने परिश्रम से कमाए धन/ज़मीन को 
अपना तब ही  तक कह सकते है,
जब तक कि उस पर किसी 
बाहुबली/ अधिकारी/नेता आदि की नज़र नहीं पड़ी हो।
अंग्रेजो के शासन में भी दबंग लोगो के ठाट थे 
और आज भी इनके ही ठाट है।
क्या बदला है यह गंभीरता से सोचने का विषय है?
अंग्रेजो ने अपनी खिदमत के लिए 
/अपने व्यवसाय को बढ़ाने आदि के लिए 
भारत की आम जनता को ही 
अपनी गुलामी की ज़ंजीरो से जकड़ा था। 
आज भी आम जनता ही 
महंगाई /गरीबी/आधुनिक विलासिता की ज़ंजीरो से
स्वयं को जकड़ा पाती है।
पहले अंग्रेजो ने हमारे देश को लूटा 
और लुटे धन को अपने देश में भेज कर उसे संम्पन्न बनाया।
आज भी हमारा  देश लूटा जा रहा है 
और धन को किसी दुसरे देशो में चोरी-छुपे भेजा जाता है।
आज के लूटेरे किसे संम्पन्न बना रहे है यह शोध का विषय है?
मै सच्चे भारतीय, बड़े अधिकारियो
 /पहुच रखने वालो/ऊँचे पदों पर आसीन सम्मान्नियो और तमाम आम जनता से 
कहना चाहता हूँ कि कोई और हमारी व्यवस्था सुधारने  नहीं आएगा।
अपने स्वार्थ को छोड़कर देश के हित का सोचे।




Sunday, October 14, 2012

सुविधाओ को अपना अधिकार न माने

ज़रुरत से अधिक मिली सुविधाये,
हमारी छमता  के विकास में बाधा बन सकती है।
मिली सुविधाओ को अपना अधिकार न माने,
बल्कि किसी बड़ी सफलता के लिए
प्रकृति द्वारा किये जा रहे सहयोग के रूप में देखे।
ऐसा करके हम,
अपनी वास्तविक स्थिति को  सही ढंग से पहचान पायेंगे।
फिजूलखर्ची की आदत नहीं पड़ेगी 
और ऐसा करके 
हम कितनी ही तरह  की बुरी आदतों से  बचे रहेंगे।
यह गंभीरता से सोचने की बात है कि, 
जो सुविधाए दूसरो के लिए कल्पना की बात होती है,
वह किसी और को बड़ी ही सरलता से प्राप्त होती है।
कितनी ही बार अभाव, 
हमें, 
अपनी छमता  बढाकर सफलता प्राप्त  करने के लिए लिए  प्रेरित करते  है।
ज़रा सोचिये ? 

Wednesday, October 10, 2012

शराब

 शराब पीने / नशा करने वालो पर रोक  नहीं  लगाई जा सकती
 तो क्यू न यह किया जाये-
शराब पीने / नशा करने वालो को 
लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए।
समाज में रहने वाले अन्य लोगो को होने वाली असुविधा के लिए
पीने वालो से  असुविधा टेक्स लिया जाये । 
लाइसेंस के ज़रिये पीने वालो की संख्या का निर्धारण किया  जाये। 
लाइसेंस में नशा करने की मात्रा
(कम या  ज्यादा पीने वाला) का स्पष्ट उल्लेख हो।
 ऐसा करने  से नशा करने वालो को निम्न लाभ मिले-
1. ये सड़क पर या कही भी  नशे  की  हालत में  गिरे पड़े पाए गए तो लाइसेंस देखकर,इनकी पहचान करके
 इन्हें इज्ज़त के साथ घर तक पहुचाया जायेगा।
2. पीने वालो के परिवार को आकस्मिक दुर्घटना बीमा का लाभ दिया जाये।
3. पीने वालो के बच्चो को स्कूल फीस आदि के भुगतान में  विशेष रियायत मिले।

भरोसा