Wednesday, November 23, 2011
खूबियों का बखान
यदि हम अपने आप को अपनी छमता को पहचानते है,
क्या कर सकते है यह जानते है,
तो इसे हमारा स्वाभिमान कहा जाता है |
जब हम अपनी छमता,अपनी पहचान दूसरो को बताने जाते है ,
जताने जाते है, तो इसे हमारा अभिमान कहा जायेगा |
आम का पेड़ कितने ही फलो से लदा हो,
वह अपने फलो को पत्तो के बीच छुपाकर रखता है,
और लम्बी आयु का होता है |
वही पपीते का पेड़ अपना प्रदर्शन सरेआम करता है,
और बहुत छोटी उम्र में ही मिट जाता है |
स्वाभिमान से आत्मविश्वास बढ़ता है
और हमारे जीतने की प्रायिकता बढ़ती है |
व्यक्तित्व निखरता है |
स्वाभिमानी व्यक्ति को सभी दूर से पहचान लेते है |
निश्छल मुस्कान एवं आत्मविश्वास से भरा चेहरा
अलग ही चमक रखता है |
अभिमान से हमारा व्यक्तित्व और छमता दोनों ही धूमिल होते है |
जब जब हम अपनी खूबियों का बखान करते है,
लोगो को दिखाते है तो वे हमें परखने आते है,
और जिस किसी को भी हमसे खतरा लगता है
वह हमें मिटाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देता है |
यदि आप अपनी पूरी छमता के होते हुए भी असफल हो रहे है
तो ज़रूर अपने व्यवहार और क्रियाकलापों पर गौर कीजियेगा |
Sunday, November 20, 2011
अभिमान और हम
जब हमें यह लगता है की हमें सब कुछ आता है,
तो यह हमारा अभिमान है |
तो यह हमारा अभिमान है |
ऐसे समय में दुनिया वाले हमसे दूरी बनाने लगते है |
हमसे किनारा कर लेते है |
जब हमें यह लगता है की हमें कुछ भी नहीं आता, तो भी यह हमारा अभिमान है |
ऐसे समय में हम स्वयं ही दुनिया वालो से दूरी बनाने लगते है |
औरो से किनारा कर लेते है |
उपरोक्त दोनों ही तरह के अभिमान हमें अकेला कर देते है |
यदि हम स्वयं को कर्म करने वाला भर मान ले तो
दोनों ही तरह के अभिमान से बच सकते है |
Friday, November 18, 2011
ख़ुशी कहाँ है ?
वह पल जब सारी दुनिया हसीन नज़र आये ,
भीतर से सिर्फ और सिर्फ दुआए ही निकले ,
किसी भी गलती को माफ़ कर देने में हिचकिचाहट न हो,
सब कुछ लुटा देने की इच्छा करे |
यदि ख़ुशी के पल में उपरोक्त को आप पाते है तो आपसे एक प्रश्न करना चाहूँगा कि -
"जब सब कुछ लुटा देने और स्वयं के खो जाने को ही ख़ुशी कहते है,
तो फिर सब बटोरकर और भीड़ इकट्ठी करके कैसे ख़ुशी मिलेगी ? "
वास्तव में ख़ुशी आंतरिक प्रक्रिया है जो अन्दर ही घटती है |
जैसे-
अचानक खज़ाना मिल जाने पर भीतर एक ख़ुशी कि लहर उठती है और
उस खजाने के उपयोग के विषय में सोचते ही ख़ुशी आधी हो जाती है,
और इसमें डर समाहित हो जाता है |
ऐसे में क्या निम्न आपको ख़ुशी देंगे -
१. जहाँ में सब कुछ पा लेने की सनक
२. उपयोग करने कि चीजों को संग्रहित कर लेने का लालच
३. सोने के लिए एक कमरा ,एक पलंग, एक गद्दे से अधिक की चाह
खुशी कही और नहीं बल्कि आपके भीतर ही मौजूद है | अपने भीतर झाकिये और ख़ुशी को महसूस कीजिये |
Friday, November 11, 2011
लोकप्रिय बने
ऐसा नहीं है की लोग अपने देश,समाज के लिए अच्छा करने का नहीं सोचते है |
कितनी ही योजनाये बनाते है फिर भी कुछ हो नहीं पाता है |
क्यूकि हममे अपनी ज़िम्मेदारी को दूसरे पर लाद देने की आदत होती है |
यही पर सारे दावे सारी योजनाये चकनाचूर हो जाती है |
कभी भी हम किसी गैरजिम्मेदार व्यक्ति का साथ नहीं चाहेंगे |
इनसे बचकर चलने की कोशिश करते है |
मगर हम स्वयं कितने गैरजिम्मेदार है यह कभी नहीं सोचते |
हमें लगता है की एक मेरे अकेले के कुछ करने से क्या हो जायेगा ?
एक मै ही बुरा तो नहीं हू, और भी तो कितने बुरे लोग है ?
मेरे अकेले के सुधरने से दुनिया तो सुधरने वाली नहीं है |
वास्तव में हमारे सुधरने से दुनिया बदलने या सुधरने वाली नहीं है |
तो क्या हम गैरजिम्मेदार ही बने रहे ?
जिन व्यक्तियों से लोग दूर रहना चाहते है,
अगर गौर से देखे तो पाएंगे की ऐसे लोग गैरजिम्मेदार और लापरवाह लोग ही होते है |
सब ओर उसी की पूछ परख होती है जो आगे बढ़कर ज़िम्मेदारी उठाने का हौसला रखते है |
अब अगर हम दूसरो के द्वारा उपेक्षित किये जाते है तो
निश्चित तौर पर हमें अपने व्यक्तित्व के बारे में गंभीरता से सोचना होगा |
ज़िम्मेदार व्यक्तित्व सभी को प्रिय होता है
लापरवाह सभी को नापसंद होते है |
आप किस व्यक्तित्व के है ...........?
ज़िम्मेदारी उठाये और सबके प्रिय बने | Wednesday, November 9, 2011
नीयत साफ रखे
जब हम पहले से ही किसी को
धोखा देने का निर्णय कर चुके होते है
तो प्रकृति भी हमें हमारे कर्मो की सज़ा देने के लिए,
कमर कस चुकी होती है.
ऐसी स्थिति में जिसे हम सफलता मान रहे होते है,
वास्तव में वह हमें दी जा रही
सज़ा की शुरुआत होती है.
मानकर स्वीकारते जाते है.
नजरिया बदले सब बदलेगा
कहते है की पुराना समय अच्छा था
फिर वर्तमान कैसे बुरा हो सकता है ?
वास्तव में यह हमारे नज़रिए पर निर्भर करता है
कि किसे अच्छा मानते है और किसे बुरा.
समय तो कल भी वैसा ही रहा है जैसा की आज है
और आने वाले कल में भी वैसा ही रहेगा.
सिर्फ हम और हमारा नजरिया.
Tuesday, November 8, 2011
Sunday, November 6, 2011
आत्मविश्वास की कमी
कोई तब ही तक बड़ा हो सकता है,
जब तक हम अपने को छोटा मानते रहे.
आत्मविश्वास की कमी
हमें हमेशा छोटा बनाये रखती है.
जिस चीज़ से डर लगता हो उसे अगर हम अपने ऊपर हावी होने देते है,
तो यक़ीनन पूरी जिंदगी हम उससे डरते रहेंगे
डरा हुआ व्यक्ति ,
स्वतंत्र रूप से फैसला ले पाने स्वयं को समर्थ नही पाता है.
स्वतंत्र रूप से फैसला ले पाने स्वयं को समर्थ नही पाता है.
अपने डर पर काबू पाइये और फिर देखिये,
जिंदगी के कितने ही ऐसे पल थे जिनका आप मज़ा नही ले पा रहे थे.
जिन्हें कभी बड़े लोगो की जागीर समझा करते थे वास्तव में उन पर आपका भी अधिकार था.
Friday, November 4, 2011
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